kavya Junction
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ओ प्रियतम तेरे नैना,
मधुर स्नेह संबादी,
स्वछंद प्रेम की करुणा,
अविरल जल की भाँति,
मन अतुलित व्याकुल घड़ियाँ,
प्रेम छंद हैं गाती,
डूबन को तेरे नयनन में,
विवश खड़ी ललचातीं,
भवर कटाक्ष नुकीली भ्रकुटी,
सकल ब्रह्म अभिलाषी,
अधर प्रेम रश निस्पंधन,
अजर अमर अभिलाषी,
स्वर पावन अमृत भांति,
भवरों सी है गाती,
मन भावन मधुरिम,
मोह जगत को आती,
निश्चल काया मृग की,
छबि सजग मनभावन,
बेल लता सी ब्रहद लचर,
कमर बला सी बलखाती,
पूर्ण स्नेह और ममता की,
आधारभूत संबंधी,
मेरी कल्पित अभिलाषा की,
सम्पूर्ण विधा दर्शाती,
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